Places To Visit in Mysore

मैसूर में प्रसिद्ध घूमने वाले जगहें (Places To Visit in Mysore): मैसूर एक बहुत ही प्रसिद्ध शहर हैं जो कर्नाटक राज्य में स्थित है जिसे लोग “City of Palace” के नाम से जानते हैं। भारत के इतिहास के पन्नों में मैसूर की की अलग ही पहचान है, यहाँ की संस्कृति की सुंदरता और मैसूर में जो प्रसिद्ध जग़ह है उससे जुड़ी कुछ दिलचस्व तथ्य लोगों को बहुत ही प्रभावित करती है। मैसूर में अगर देखा जायें तो पुरानी महले, गार्डन, मंदिर, zoo और भी बहुत जगहें है जहाँ एक बार तो घूमना बनता हैं। आज हम इस लेख़ में मैं अपनी मैसूर की यात्रा के बारे में चर्चा करेंगे, की जब में मैसूर गया था तो क्या-क्या देखा और आपको भी क्या-क्या देखना चाहिए, जब आप मैसूर घूमने आये तो बिना किसी झिझक के मैसूर के प्रसिद्ध जगहों को आराम से घूम सकें। मैं बैंगलोर में रहता हूँ और बैंगलोर से मैसूर लगभग 3-4 घंटे का ड्राइव हैं या आप ट्रैन से भी आराम से बैंगलोर से मैसूर जा सकते है वो भी लगभग समान समय लेता है। निचे कुछ जग़ह हैं जिसे मैंने एक दिन में कोशिश किया था की घूम लें, तो फॉलो करते है एक सीक्वेंस जिससे घूमने में आसानी हो और जाने में कोई तकलीफ न हो, ऐसे देखें तो मैसूर शहर लगभग 8-10 किलोमीटर के इर्ध-गृद्ध में बसा हुआ है, इसलिए यहाँ घूमने में ज्यादा परेशानी नहीं होती हैं, मेरी सलाह हैं अगर आपके पास अपनी गाड़ी नहीं है तो यहाँ एक दिन के लिए आप कैब बुक कर के घूमिये जिससे आपको इधर-उधर जाने में जो कठनाई होंगी उस कठनाइयों से आप बच सकतें है, ऐसे आप ऑटो या स्टेट बस का भी उपयोग कर सकते हैं ये आप पर निर्भर करता है की आप क्या उपयोग करना चाहते हैं, तो चलिए बिना देरी के अपने पहले गंतव्य स्थान पर। 

1.) चामुंडी मंदिर (Chamundi Temple):

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Chamundi Devi Temple

चामुंडी मंदिर (Chamundi Temple): हम सुबह के 6 बजे के आस-पास मैसूर पहुँचे और मेरा जो पहला गंतव्य था वो मैसूर के चामुंडी देवी जी का दर्शन, जिसके लिए हमे जाना होगा चामुंडी हिल्स के ऊपर जो की लगभग 3000 फ़ीट की ऊँचाई पर हैं। ये मंदिर है तो बहुत पुराना जो लगभग 12वीं शताब्दी में होयसल राजवंश के शासकों के द्वारा निर्माण किया गया था और जो मंदिर के प्रांगण में स्थित मीनार है जिसका निर्माण लगभग 17वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा कराया गया था। इस मंदिर में जाने के लिए लगभग 1000 सीढ़ीयो का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर में जो सबसे खाश दिन है जिस दिन भक्तों की ज्यादा भीड़ होती है वो दिन है: हिंदी महीना के आषाढ़ महीने के शुक्रवार को, इस दिन को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है, और इसी महीने में एक और त्यौहार चामुंडी जयंती मनाया जाता है। जिस दिन जयंती मनाई जाती है उस दिन मैसूर के महाराजा के द्वारा देवी की मूर्ति की जन्मदिन मनाया जाता है और देवी की प्रतिमा को पालकी में बैठा कर पुरे मंदिर के चारों तरफ़ घुमाया जाता है। ज्यादा भीड़ से आपको आपत्ति न हो तो आप इस खाश दिन को देखने आ सकते है। और तो और इस मंदिर में नवरात्रि और अम्मानवर वर्धन्ति जैसे त्यौहारों में भी देवी चामुंडी की पूजा और दर्शन के लिए विख्यात हैं। इस मंदिर के प्रांगण में एक राक्षस का मूर्ति है जिसके एक हाथ में तलवार और एक हाथ में साँप है, जो की आपको मंदिर में जाने से पहले ही दिख जाती है। मंदिर के आगे बहुत सरे लोकल दुकानें है जहाँ से आप अपनी मनपसंद चीजों की ख़रीददारी कर सकते हैं। मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर एक नंदी बैल की बहुत बड़ी प्रतिमा है तो हमरा अगला गंतव्य नंदी टेम्पल हैं।

2.) नंदी टेम्पल (Nandi Temple):

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Nandi Temple

नंदी टेम्पल (Nandi Temple): नंदी जिन्हें भोले बाबा के सवारी के रूप में जाना जाता है, उन्हीं का एक बहुत ही बड़ा ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित नंदी की मूर्ति हैं, और इस मूर्ति की ऊँचाई और लम्बाई क्रमशः 5 मीटर और 8 मीटर हैं। यह मूर्ति एक छोटे से मंदिर के आगे स्थित है जिसमें भगवान शिव की मूर्ति विराजमान है। यह नंदी का मंदिर जो चामुंडी देवी मंदिर से लगभग 700 सीढ़ी के बाद हैं। मुझे तो बहुत ही मजा आया यहाँ, इतना बड़ा नंदी की मूर्ति देखकर। इसके बाद जब हम हिल्स से निचे उतर रहें थे तो रास्ते में घाटी मिलती है और वहां पर एक व्यू पॉइंट है जहाँ से पूरा मैसूर का नज़ारा दिखता है, ये भी एक अपने आप में अनोख़ा अनुभव था। 

3.) मैसूर पैलेस (Mysore Palace):

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Mysore Palace

मैसूर पैलेस (Mysore Palace): मैसूर पैलेस को अगर मैसूर की शान कहा जाये तो कोई गलत नहीं होगा। मैं जब मैसूर में आया तो सबसे पहले यहीं जाना का सोंचा था लेकिन दिन की शुरुआत मई चामुंडी देवी जी की पूजा से करना चाहता था। खैर चलिए घूमते है इस पैलेस को और देखते है इसकी बनावट को। इस पैलेस को 14वीं शताब्दी की शुरुआत में वोडेयार के शाही परिवार द्वारा बनवाया गया था। अभी जो हमलोग पैलेस को देख रहे है वो उतनी तो पुराणी नहीं है क्युकी इसका निर्माण सत्र 1912 में फिर से अंग्रजो के वास्तुकार हेनरी इरविन के द्वारा डिजाइन किया गया था, तो सोंच रहे होंगे की फिर से मतलब, जी हां इससे पहले तीन बार इस पैलेस को बनाया गया था किसी न किसी वज़ह से वो नस्ट हो गया था। सत्र 1912 से पहले 1739 ई. में टीपू सुल्तान के द्वारा इसका निर्माण किया गया था जो 1897 ई. में आग लगने से पूरी तरह बर्बाद हो गया था। ये तो थी कुछ इस महल का इतिहास। इस महल के परिसर के अंदर कुछ मंदिर का निर्माण किया गया है, जिसमें श्री लक्ष्मीरमण स्वामी का मंदिर है जो शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और यह किले के पश्चिमी भाग की ओर स्थित है, श्री श्वेता वराहस्वामी का मंदिर जो दक्षिणी द्वार के बगल में स्थित है। श्री त्रिनयनेश्वर स्वामी का मंदिर जिसे एक प्राचीन मंदिर होने का गौरव प्राप्त है और यह किले के बाहर, देवराय सागर के तट पर स्थित है। श्री प्रसन्ना कृष्णस्वामी मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, श्री भुवनेश्वरी देवी मंदिर जो महल के उत्तरी भाग में स्थित है, श्री गायत्री मंदिर – किले के दक्षिण-पूर्व कोने में स्थित है। जब महल की चर्चा होती है तो इन मंदिरों का इस महल के प्रांगण में होने से इस पैलेस को एक अलग संरचना प्रदान करती हैं। शाम के समय यहाँ प्रतिदिन लाइटिंग होती हैं जो लगभग 15 मिनट की होती हैं लेक़िन किसी खाश हॉलिडे और हर रविवार को एक घंटे (07:00 बजे पूर्वाहन से 08:00 बजे पूर्वाहन तक ) के लिए इसका आयोजन किया जाता हैं।

4.) शुक वन (Shuka Vana):

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Shuka Vana

शुक वन (Shuka Vana): मैसूर पैलेस घूमने के बाद मै इस जगह को घूमने का मन बनाया क्युकी इस जगह पर लगभग 384 प्रकार के तोते को रखा गया है जो की अपने आप में एक बर्ड सेंचुरी से काम नहीं है। मैं इस जगह को मिस नहीं करना चाहता जहाँ इतने सारे रंग-बिंरंगे तोते है, यहाँ पर कुछ पैसे देकर रंग-बिंरंगे तोते के साथ अपनी फोटो खिंचवा सकते है। मैं यहाँ जाकर निरास नहीं हुआ, बहुत ही अच्छा लगा और ये जगह बच्चों को बहुत ही पसंद आएगी। इस जगह को घूमने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं हैं। 

5.) बृंदावन गार्डन (Brindavana Garden):

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Vrindavan Garden (KSR)

बृंदावन गार्डन (Brindavana Garden): बृंदावन गार्डन जिसे कृष्णराज सागर बांध (केआरएस) के नाम से भी जाना जाता है, यह गार्डेन कावेरी नदी के ऊपर जो बांध (KRS) बना है उसके निचे वाले हिस्से में स्थित हैं, इस बांध के लंबाई 8600 फीट और ऊंचाई 130 फीट है। इस गार्डेन की सुंदरता आगुंतगो को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस गार्डेन में बहुत सारे फूलों, बहुरंगी फव्वारों और रंग-बिरंगे फूलों से सजे सीढ़ीदार क्यारिया, जो लोगों को एक अलौकिक और भव्यता का सुखद अनुभव प्रदान करता हैं। बृंदावन गार्डन जाने का अगर कोई सही समय है तो शाम के समय जब सूर्यास्त न हुआ हो और वहां सूर्यास्त के बाद जो लाइटिंग होती है मन को मोह लेती हैं। यहाँ पर म्यूजिक फाउंटेन भी हैं जिसे देखने में भी बहुत मज़ा आता हैं। इस जगह को घूमकर लगा मेरा मैसूर का घूमना सफल हो गया। अपनी सुंदरता के कारन इस गार्डेन में बहुत सारी बॉलीवुड फिल्म के गानों को फिल्माया गया हैं। 

6.) सेंट फिलोमेना चर्च (St. Philomena's Church):

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St. Philomena’s Cathedral

सेंट फिलोमेना चर्च (St. Philomena’s Church):संत फिलोमेना चर्च मैसूर का सबसे बड़े चर्च में से एक हैं जिसे भारत के भी बड़े चर्च में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान हैं। यह जो चर्च है भारत के पुराने चर्चो में से एक है लेकिन ये चर्च पहले बहुत ही छोटा था बाद में महाराजा कृष्णराज वोडेयार ने 28 अक्टूबर, 1933 को नए चर्च बनाने के लिए नींव रखी जिसे हमसब आज देख रहे हैं, इस चर्च की डिज़ाइन डेली नामक एक फ्रांसीसी व्यक्ति द्वारा तैयार किया गया था। इस चर्च की बनावट बहुत ही सुन्दर हैं जो कोई भी इसे देखेगा एक बार तो जरूर ही कहेगा क्या रचना है इस चर्च की जो ऊंचाई है लगभग 170 फुट ऊँचे है। यह चर्च अपनी खूबसूरती की वज़ह से बॉलीवुड की फिल्म अमर अकबर एंथनी फिल्माया गया था, जिसे अभी क्लासिक फिल्म में शामिल कर लिया गया है। मैं इस जगह को देखने के लिए लगभग दो एक घंटे रुका था, बहुत ही शानदार जगह है, इस जगह पर एक बार तो घूमने जाया जा सकता हैं।

7.) मैसूर का चिड़ियाघर (Mysore Zoo):

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Mysore Zoo

मैसूर का चिड़ियाघर (Mysore Zoo): मैसूर का चिड़ियाघर जिसे श्री चामराजेंद्र प्राणी उद्यान के नाम से भी जाना जाता हैं और यह कर्नाटक का सबसे लोकप्रिय चिड़ियाघर है। इस चिड़ियाघर को भारत के सबसे पुराने चिड़ियाघर मान सकते हैं जिसकी स्थापना 1892 में हुई थी। इस चिड़ियाघर में 25 से अधिक देशों से 1,450 जानवरों की प्रजातियों और 168 पक्षियों की प्रजातियों को रखा गया हैं। यहाँ पर बच्चों और वाइल्ड लवर को बहुत ही पसंद आएगी। 

सारांश/निष्कर्ष (Summary):

सारांश/निष्कर्ष (Summary): मैसूर बहुत ही खूबसूरत जगह है जहाँ प्रकृति और इतिहास का अनोख़ा संगम है। जहाँ आप साउथ इंडिया की कल्चर के बारे में जान और देख सकते है यहाँ का दशहरा बहुत ही फेमस है जिसे देखने भारत के हर एक प्रान्त से लोग आते हैं। मुझे तो बहुत मजा आया मैसूर में, अंत में मैं यहीं कहूँगा इस जगह को एक बार जरूर घूमें।

FQA:

Answer: मैसूर की असली खूबसूरती को देखने के लिए कम से कम 2 दिन का समय चाहिए।

Answer: मैसूर, दक्षिण भारत में है और यहां आप सभी प्रकार के पारंपरिक भोजन का आनंद ले सकते हैं, जैसे मैसूर मसाला डोसा, मैसूर वड़ा, इडली और कई अन्य।

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